mosfet basic step by step in hindi
Basic tutorial Of MOSFET
इसको हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को स्विचिंग और एम्प्लीफाई करने के लिए व्यापक रूप से उपयोग करतें हे ।यह इंटीग्रेटेड सर्किट का एक कोर माना जाता है इस का बहुत छोटे आकर होने के कारण छोटे छोटे चिप में उपयोग किए जाते हे। MOSFET एक चार टर्मिनल डिवाइस है जिसमें source (S), gate (G), ड्रेन (D) और body (B) टर्मिनल होते हे । MOSFET का बॉडी अक्सर सोर्स टर्मिनल से जुड़ा होता है। इस कारण इसको दिखने में ट्रांजिस्टर जैसा लगता हे। आज का युग में डिजिटल और एनालॉग दोनों फील्ड में इसका ब्यापक यूज़ होरहे हे। निचे इसका सिम्बोल देखिए।
mosfet symbol
MOSFET का कार्य इसका चैनल की चौड़ाई के अनुरूप अलग-अलग होता हे। इसके चैनल में इलेक्ट्रान होल के कारण करंट प्रवाह कर सकते हे। करंट सोर्स से होते हुए पर चैनल में प्रवेश करते हैं और ड्रेन के माध्यम से बाहर निकलते हैं। इसके चैनल की चौड़ाई एक इलेक्ट्रोड पर वोल्टेज द्वारा नियंत्रित होती है जिसे गेट कहा
जाता है। यह सोर्स और ड्रेन के बीच रहता है और यह धातु ऑक्साइड की एक बहुत पतली परत से बनते हे। चैनल से यह इंसुलेटेड होता है। निचे n चैनल मॉस्फेट के इंटरनल बनावट देखिए
mosfet working
MOSFET का मुख्य कार्य सोर्स और ड्रेन करंट प्रवाह करना हे। यह लगभग स्विच का काम करता है।
MOSFET का कार्य MOS कपैसिटर पर निर्भर करता है। मॉस्फेट दो टाइप से कार्य करता हे निचे देखिए
enhanced type mosfet working principle:इस टाइप का मॉस्फेट फॉरवर्ड बायस में ही काम करता हे। ड्रेन को पॉजिटिव और सोर्स को नेगेटिव सप्लाई देते हे तो ड्रेन पे कुछ करंट फ्लो होता हे। इसको हम ड्रेन करंट बोलते हे। इसका दो PN जंक्शन होते हे। एक PN और दूसरा PN ,दोनों आपस में बैक तो बैक कनेक्ट होते हे,इस का मतलब ड्रेन और सोर्स ओपन होते हे।बीच में कोही चैनल नहीं होता हे। जब हम गेट पे पॉजिटिव (gv ) देते हे तो गेट फॉरवर्ड बायस होता हे। इसमें पॉजिटिव चार्ज होता और नेगेटिव चार्ज को अपने और खींचने लगेगा। लेकिन विच में सिलिकॉन डाइऑक्साइड के लेप के कारण गेट तक नहीं पहुंचेगा। और नेगेटिव चार्ज एकठे होने लगेगा। जब हम गेट में और पॉजिटिव सप्लाई बढ़ादे तो ड्रेन और सोर्स के बिच में रीजन क्रिएट होता हे और एक चॅनेल क्रिएट होता हे। इस टाइम ड्रेन और सोर्स स्विच के तरह काम करने लगेगा। गेट और सोर्स में दिए जाने वाला मिनिमम वोल्टेज जो गेट और सोर्स के विच चैनल क्रिएट करने में सक्षम होता हे उसको हम threshold voltage बोलते हे। अगर गेट सोर्स वोल्टेज (threshold voltage ) threshold voltage वैल्यू से कम या 0v हे तो ड्रेन और सोर्स में करंट फ्लो नहीं होता हे। इस लिए है इस को नार्मली ओपन बोलते हे।
depletion type mosfet working principle:आपने चित्र में देखा हे ,n चैनल में कोही PN जंक्शन नहीं हे। इसका sio2 लेयर पैरेलल कपैसिटर के तरह काम करता हे। मतलब नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों गेट वोल्टेज पर कार्य करता हे। यदि गेट में पॉजिटिव सप्लाई देने पे यह enhance मोड में काम करता हे और नेगटिव सप्लाई देने पे depletion मोड में काम करता हे।
enhanced mode : आपने चित्र में देखा होगा जब हम ड्रेन मे पॉजिटिव और सोर्स में नेगेटिव सप्लाई देते हे तो ड्रेन में करंट फ्लो होगा। जब हम गेट में पोसिटिव voltage देते हे तो
पॉजिटिव और नेगेटिव attraction करेगा जैसा गेट पॉजिटिव और चैनल नेगेटिव।जब नेगेटिव चार्ज गेट की और जाएगा तो सिलिकॉन लेयर उनको ब्लॉक करदेता हे और n टाइप चैनल का रेजिस्टेंस लो होता हे। पॉजिटिव वोल्टेज को increase कर केthreshold voltage के बराबर होने से ड्रेन से सोर्स तक करेंट फ्लो कर सकते हे इसको हम enhance मोड बोलते हे।
depletion Mode :दूसरा चित्र के अनुरूप हम ड्रेन मे पॉजिटिव और सोर्स में नेगेटिव सप्लाई देते हे तो ड्रेन में करंट फ्लो होगा। जब हम गेट में नेगेटिव voltage देते हे तो चैनल भी नेगेटिव और गेट वोल्टेज भी नेगेटिव होता हे और नेगेटिव नेगेटिव आपस मे रेपुल्स करेगा मतब नेगेटिव चार्ज को धकेल देता हे और चैनल का रेजिस्टेंस हाई होगा और ड्रेन से सोर्स तक करंट फ्लो नहीं होगा।
MOSFET का कार्य MOS कपैसिटर पर निर्भर करता है। मॉस्फेट दो टाइप से कार्य करता हे निचे देखिए
- enhanced type mosfet working principle
- depletion type mosfet working principle
enhanced type mosfet working principle:इस टाइप का मॉस्फेट फॉरवर्ड बायस में ही काम करता हे। ड्रेन को पॉजिटिव और सोर्स को नेगेटिव सप्लाई देते हे तो ड्रेन पे कुछ करंट फ्लो होता हे। इसको हम ड्रेन करंट बोलते हे। इसका दो PN जंक्शन होते हे। एक PN और दूसरा PN ,दोनों आपस में बैक तो बैक कनेक्ट होते हे,इस का मतलब ड्रेन और सोर्स ओपन होते हे।बीच में कोही चैनल नहीं होता हे। जब हम गेट पे पॉजिटिव (gv ) देते हे तो गेट फॉरवर्ड बायस होता हे। इसमें पॉजिटिव चार्ज होता और नेगेटिव चार्ज को अपने और खींचने लगेगा। लेकिन विच में सिलिकॉन डाइऑक्साइड के लेप के कारण गेट तक नहीं पहुंचेगा। और नेगेटिव चार्ज एकठे होने लगेगा। जब हम गेट में और पॉजिटिव सप्लाई बढ़ादे तो ड्रेन और सोर्स के बिच में रीजन क्रिएट होता हे और एक चॅनेल क्रिएट होता हे। इस टाइम ड्रेन और सोर्स स्विच के तरह काम करने लगेगा। गेट और सोर्स में दिए जाने वाला मिनिमम वोल्टेज जो गेट और सोर्स के विच चैनल क्रिएट करने में सक्षम होता हे उसको हम threshold voltage बोलते हे। अगर गेट सोर्स वोल्टेज (threshold voltage ) threshold voltage वैल्यू से कम या 0v हे तो ड्रेन और सोर्स में करंट फ्लो नहीं होता हे। इस लिए है इस को नार्मली ओपन बोलते हे।
depletion type mosfet working principle:आपने चित्र में देखा हे ,n चैनल में कोही PN जंक्शन नहीं हे। इसका sio2 लेयर पैरेलल कपैसिटर के तरह काम करता हे। मतलब नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों गेट वोल्टेज पर कार्य करता हे। यदि गेट में पॉजिटिव सप्लाई देने पे यह enhance मोड में काम करता हे और नेगटिव सप्लाई देने पे depletion मोड में काम करता हे।
enhanced mode : आपने चित्र में देखा होगा जब हम ड्रेन मे पॉजिटिव और सोर्स में नेगेटिव सप्लाई देते हे तो ड्रेन में करंट फ्लो होगा। जब हम गेट में पोसिटिव voltage देते हे तो
पॉजिटिव और नेगेटिव attraction करेगा जैसा गेट पॉजिटिव और चैनल नेगेटिव।जब नेगेटिव चार्ज गेट की और जाएगा तो सिलिकॉन लेयर उनको ब्लॉक करदेता हे और n टाइप चैनल का रेजिस्टेंस लो होता हे। पॉजिटिव वोल्टेज को increase कर केthreshold voltage के बराबर होने से ड्रेन से सोर्स तक करेंट फ्लो कर सकते हे इसको हम enhance मोड बोलते हे।
depletion Mode :दूसरा चित्र के अनुरूप हम ड्रेन मे पॉजिटिव और सोर्स में नेगेटिव सप्लाई देते हे तो ड्रेन में करंट फ्लो होगा। जब हम गेट में नेगेटिव voltage देते हे तो चैनल भी नेगेटिव और गेट वोल्टेज भी नेगेटिव होता हे और नेगेटिव नेगेटिव आपस मे रेपुल्स करेगा मतब नेगेटिव चार्ज को धकेल देता हे और चैनल का रेजिस्टेंस हाई होगा और ड्रेन से सोर्स तक करंट फ्लो नहीं होगा।
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